बडौत शहर का इतिहास
उत्तर प्रदेश के प्रमुख्य स्थान पर स्थित बड़ौत एक महत्वपूर्ण शहर एवं बागपत की तहसील है। यहाँ विभिन्न प्रकार के व्यापारी रहते हैं जिनमें से अधिकतर कृषि आधारित धुरा पहिया का व्यापार करते हैं। शहर में अन्य प्रकार की व्यापार के स्रोतों में कृषि, खेती और ईंट का निर्माण शामिल है। यहाँ व्यापार के साथ-साथ शिक्षा को भी काफी महत्व दिया जाता है इसलिए यहाँ कई बेहतरीन शैक्षिक संस्थान मौजूद हैं। यहाँ की जनसंख्या में विभिन्न जाती एवं धर्म के लोग मौजूद हैं जिसके कारण यहाँ बहुभाषी संस्कृति देखने को मिल सकती है। यहाँ की लोगों की प्रवृत्ति ऐसी होती है जिससे व्यापार को प्रभावी रूप से संचालित किया जाता है, इसलिये यहाँ कई बड़े व्यापारी घराने पाए जाते हैं।
बड़ौत की भूमी, उद्यमशीलता की दृष्टि से वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए काफी लाभदायक मानी जाती है। बड़ौत में अच्छे वातावरण के कारण, यहां के नागरिकों ने हमेशा उन अवसरों का इस्तेमाल किया जिससे उनका और समाज का फायदा हो सके। समाज को बढ़ावा देने और प्रगति के लिए, यहां के व्यापारी, उद्यमी और हर वर्ग के नागरिक ने शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा दिया है, जिसकी वजह से देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।
इसके साथ ही, बड़ौत विभिन्न स्थापत्य स्मारकों को भी प्रदर्शित करता है, जिसकी वजह से इस शहर की सांस्कृतिक महत्ता काफी अधिक मानी जाती है। यहां के मंदिर से लेकर स्मारकों तक एवं अन्य कई स्थान यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती है।
यमुना नदी के तट पर स्थित, बड़ौत कृषि रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शहर देश के विभिन्न शहरों और राज्यों से रेल, रोड और नजदीकि एयरपोर्ट से प्रमुख रूप से जुड़ा हुआ है।