संपत्ति कर
उत्तर प्रदेश की नगर पालिक परिषद की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने और उन्हें स्वतंत्र बनाने के लिए, नगर विकास के अनुच्छेद-9 के अनुसार 74वां संवैधानिक संशोधन किया गया और ऑर्डर नंबर 1435/Nine-9-2000-63J/95 T.C. दिनांक 22 April 2000, उत्तर प्रदेश नगर पालिका (संपत्ति कर) नियम नियमावली 2000 को प्रेषित किया गया। इन उपायों को लागू करने का मुख्य कारण संपत्ति कर में प्रामाणिकता और पारदर्शिता लाने के लिए किए गए।
इस प्रणाली की विभिन्न प्रक्रियाएं/कार्यावाही को नगर पालिका द्वारा बड़े स्तर पर विज्ञापित किया गया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए विभिन्न स्थानों पर होर्डिंग लगाना अभी प्रस्तावित है।
सेल्फ-टैक्स असेसमेंट नागरिकों और पालिका दोनों के हित के लिए है। यह टैक्स तार्किक और प्रामाणिक मानकों पर आधारित है। इसमें कोई पक्षपात नहीं होता है और पारदर्शी और तर्कसंगत होता है। कर निर्धारण साईट मैप के आधार पर किया जाता है और उसका विवरण नगर पालिका में जमा किया जाता है। इस सेल्फ-टैक्स निर्धारण प्राणाली के अंतर्गत, एक व्यक्ति अपनी बिल्डिंग के विवरण के आधार पर अपने कर का आकलन कर सकता है। सरकार के निर्देशों के आधार पर नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार के पूर्व-निर्धारित प्रपत्र उपलब्ध कराए गए हैं। अगर साइट मैप या विवरण उपलब्ध नहीं है, तो कर का निर्धारण अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
इस सेल्फ टैक्स-निर्धारण प्रणाली का प्रमुख लक्ष्य नागरिकों को निम्न सुविधाएं उपलब्ध कराना है:-
- कर का निर्धारण संपत्ति या जमीन के वर्तमान सर्किल दर, संपत्ति की माप और निर्माण की श्रेणी के आधार पर किया जाएगा।
- कर निर्धारण प्रक्रिया का निर्धारण पूर्णतः नियोजित और संगठित होगा और सुविधाजनक भी होगा एवं इसे सभी आधुनिक शहरों में लागू किया जाएगा।
- किसी भी प्रकार की जानकारी या तथ्य टैक्स निर्धारण की गलत जानकारी देने पर कड़ी कार्यवाही तथा जुर्माना लगाया जाएगा।
सेल्फ-टैक्स निर्धारण प्रणाली, वर्तमान कर प्रणाली की अपेक्षा कम समय लेगा। कोई भी किसी भी प्रकार से किसी भी व्यक्ति को गुमराह नहीं कर पाएगा। यह कर प्रणाली सभी नागरिकों को फायदा पहुंचाएगी और उत्तर प्रदेश के सभी निकायों को वित्तीय और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करेगी।