मंदिर
लाक्षागृह
बड़ौत के पास एक गांव में लाक्षागृह बना हुआ है, जिसका संबंध प्रसिद्ध पौराणिक महाकाव्य महाभारत से संबंध है। यह माना जाता है कि दुर्योधन के आदेश पर और उसके मामा कंस के तहत इस लाक्षागृह (लाह से बना हुआ) का निर्माण करवाया गया था, जिसमें पांडवो को उनकी माता, कुंति के साथ नरसंहार किया जा सके। इस गृह का निर्माण लाख से बनवाया गया था जो अत्यधिक ज्वलनशील होता है, इसलिए इसे मौत का जाल कहा जाता था। इस रणनीति को इस प्रकार बनाया गया जिससे किसी भी प्रकार की चालाकी नहीं की जा सकती थी और पांडवों की हत्या को एक हादसे का रूप दिया जा सके। महाभारत में यह हादसा एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है क्योंकि इसमें पांडवों को उनके भाइयों (सौतेले), कौरवों द्वारा मारा गया था, जिन्होंने, उन्हें बहुत से ऐसे मौके दिए कि वह आने वाले और अपरिहार्य युद्ध के लिए तैयार हो सके। हालांकि पांडवों के लिए एक बचने का रास्ता भी तैयार था, जिन्हे इस रणनीति से अवगत भी कराया गया था।
इसी वजह से पौराणिक महत्ता होने के कारण यह स्थल पर्यटन के रूप से भी काफी महत्ता रखता है।
बड़ौत के नजदीक मंदिर
बड़ौत जैन धर्म की दृष्टि से भी काफी महत्ता रखता है, क्योंकि यहां दिगंबर जैन मंदिर और जैन धर्मशाला स्थित है, जो इस शहर के प्रमुख स्थलों में से एक है। वास्तव में, बड़ौत में और उसके आसपास के क्षेत्र में 9 दिगंबर जैन मंदिर, 1 श्वेतांबह जैन मंदिर और बहुत से स्थंक मौजूद हैं।
कुछ प्रसिद्ध जैन मंदिर:
बड़ौत के नजदीक बहुत से अतिशय क्षेत्र भी मौजूद हैं। श्री 1008 चंद्र प्रभु मंदिर, बरनावा बड़ौत से मात्र 20 किमी दूर, बड़ौत-मेरठ रोड पर स्थित है। दिल्ली-सहारनपुर रोड पर, एक और प्रसिद्ध जैन अतिशय क्षेत्र पड़ता है जिसका नाम बड़ा गांव है। बड़ा गांव में भगवान पार्श्वनाथ का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है। बड़ौत से 40 किमी दूर बड़ा गांव में जैन मंदिर स्थित है।
दिगंबर जैन मंदिर और जैन धर्मशाला
बड़ौत के प्रमुख क्षेत्र में श्री 1008 अजीत नाथ जैन मंदिर स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 108 फीट है। यह शहर के कुछ ऊंचे मंदिरों में से एक है। यहां कुछ दिगंबर और श्वेतांबर जैन साधु नियमित रूप से रहते भी हैं। यहां आने वाले अगर यहां मौजूद साधुओं से मिलना चाहते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान और ऊर्जा लेना चाहते हैं तो यहां उनका स्वागत है। इस शहर के केंद्र में अतिथि भवन के नाम से दिगंबर जैन धर्मशाला भी स्थित है। अगर आप बड़ौत के मंदिरों को घूमना चाहते हैं, तो आप यहां के धर्मशालाओं में रुक सकते हैं।